...

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राज
मुस्कुराते चेहरे के पीछे का राज "
कोई ना जाने कितना गहरा हो....

आजकल के असली चेहरे के ऊपर,
क्या पता सौ झूठे चेहरों का पहरा हो,,,,!!

चीख-चीख कर अपना कहने वाला "
क्या पता उसी अपनेपन से छलता हो....

नफरत करने के ना जाने कितने बहाने,
दिलों दिमाग मे वो छिपाए रखता हो,,,,!!

करके सामने से बड़ी मीठी मीठी बातें  "
पीछे से जुबां पर कड़वाहट लिए बैठा हो....

पता नही अपने जिन राज के बारे मे हमे भी,
दुनिया के आगे वही राज वो कहता हो,,,,!!

आँखो के सामने अपना दिखने वाला "
ना जाने पीठ पीछे से कैसा हो...

लगाकर चेहरे पर अच्छेपन का नाका़ब,
हर पल साथ मे मौजूद वो रहता हो,,,,!!

मंज़िल तक साथ निभाने वाला ही "
हो सकता है रास्तों मे कांटे बिछाता हो....

पहुँचते देख तरक्की की राह पर,
क्या पता अंदर से वो जल जाता हो,,,,,!!

हर पल देखकर मुस्कुराने वाला ही "
शायद खंजर मारने की आस मे रहता हो....

एक नही बल्कि नफरत के ना जाने कितने राज,
कब से  वो अपने सीने मे दबाए बैठा हो,,,,!!