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तेरी खुशबू
कोहरे में घुली
ताजगी की खुशबू से भरी
जब ये बयारें स्पर्श करती हैं
रवि की सिंदूरी किरण
ओस की बूंदों में जब प्रवेश करती है
और धीरे धीरे बहती धूप जब मुझे सेंकती है
तब मेरे हृदय में बहती तेरी खुशबू एकाएक उड़ पड़ती है
जो मेरी सांसों को
मेरे आस पास बहती हवाओं को
मेरे हाँथ के कलम को
सुगंधित करती है
जो इस सुगंध में बहकर हजारों कविताएँ लिखती है
और तेरे दिये दर्द को सहती है
ताजगी की खुशबू से भरी
जब ये बयारें स्पर्श करती हैं
रवि की सिंदूरी किरण
ओस की बूंदों में जब प्रवेश करती है
और धीरे धीरे बहती धूप जब मुझे सेंकती है
तब मेरे हृदय में बहती तेरी खुशबू एकाएक उड़ पड़ती है
जो मेरी सांसों को
मेरे आस पास बहती हवाओं को
मेरे हाँथ के कलम को
सुगंधित करती है
जो इस सुगंध में बहकर हजारों कविताएँ लिखती है
और तेरे दिये दर्द को सहती है
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