10 views
नादान
मैं गुमान में था की वो मेरा है
रात आधी थी पर लग रहा था सबेरा है
वो साजिसे करता रहा हमारे खिलाफ
कोई अपना कह के क्या ऐसे करता है
खिलौना समझ के खेलता रहा जालिम उम्रभर
मैं नादान जिसे लगता था प्यार ऐसे ही होता है
जिस्मों का लगाव उसे इश्क़ लगता था
मैं जिसे लगता था इश्क़ में जिस्मों का लगाव क्या होता है।
© सियाह
रात आधी थी पर लग रहा था सबेरा है
वो साजिसे करता रहा हमारे खिलाफ
कोई अपना कह के क्या ऐसे करता है
खिलौना समझ के खेलता रहा जालिम उम्रभर
मैं नादान जिसे लगता था प्यार ऐसे ही होता है
जिस्मों का लगाव उसे इश्क़ लगता था
मैं जिसे लगता था इश्क़ में जिस्मों का लगाव क्या होता है।
© सियाह
Related Stories
13 Likes
1
Comments
13 Likes
1
Comments