...

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नादान
मैं गुमान में था की वो मेरा है
रात आधी थी पर लग रहा था सबेरा है

वो साजिसे करता रहा हमारे खिलाफ
कोई अपना कह के क्या ऐसे करता है

खिलौना समझ के खेलता रहा जालिम उम्रभर
मैं नादान जिसे लगता था प्यार ऐसे ही होता है

जिस्मों का लगाव उसे इश्क़ लगता था
मैं जिसे लगता था इश्क़ में जिस्मों का लगाव क्या होता है।
© सियाह