2 views
महत्ता रूपय की
क़ीमत रूपय की हर रिश्तों से बड़ी जब होने लगी
जीवित इन्सान की जिंदगी किश्तो में यूँ चूकने लगी
माँ-बाप,भाई-बहन,घर भरा सारा पूरा परिवारों से
तब कीमत रूपय की और ज़ेहन में खटकने लगी
परेशानियाँ घटने को तो और तेजी से पाँव पसारने लगी
मिठास रिश्ते की तब कड़वाहट की झलक दिखाने लगी
हुआ करतीं थी बैरी जो कभी दुनियाँ खुश देख कर हमें
आज बैर अपने व अपनों के बीच ही दूरियाँ बढ़ाने लगी
निश्चिंत रहा करता था मैं और निश्चिंत हुआ करता था मन मेरा
लेकिन अब अनिश्चितता मेरे तन-मन पे अपना नियंत्रण करने लगी
महत्ता जब अपने,अपनो से ज्यादा रूपय को देने लगें
तब सांसे भी हमारी हमपे अपना प्रतिबंध लगाने लगी
जीवित इन्सान की जिंदगी किश्तो में यूँ चूकने लगी
माँ-बाप,भाई-बहन,घर भरा सारा पूरा परिवारों से
तब कीमत रूपय की और ज़ेहन में खटकने लगी
परेशानियाँ घटने को तो और तेजी से पाँव पसारने लगी
मिठास रिश्ते की तब कड़वाहट की झलक दिखाने लगी
हुआ करतीं थी बैरी जो कभी दुनियाँ खुश देख कर हमें
आज बैर अपने व अपनों के बीच ही दूरियाँ बढ़ाने लगी
निश्चिंत रहा करता था मैं और निश्चिंत हुआ करता था मन मेरा
लेकिन अब अनिश्चितता मेरे तन-मन पे अपना नियंत्रण करने लगी
महत्ता जब अपने,अपनो से ज्यादा रूपय को देने लगें
तब सांसे भी हमारी हमपे अपना प्रतिबंध लगाने लगी
Related Stories
4 Likes
0
Comments
4 Likes
0
Comments