...

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सुरूर
तुम्हारी यादें मिटे तो हम कुछ करें
कुछ होश सम्भले तो हम कुछ करें
ये आँखें देखती है तुम्हीं को हर वक्त
चलो ये आँखें ही खुले तो हम कुछ करें
शिकायत न कर कि क्या मसअल्ला है
हमें तुम पसंद हो हम क्या करें
तुम्हाकी यादें मिटे तो हम कुछ करें
# प्रीत अग्रवाल
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