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भगिनी ✍🏻✍🏻✍🏻
भगिनी.....जगत में कोई नहीं तेरा, समय का कैसा ये फेरा !

फेर लगा माया का जबसे मुँह सबने फेरा, समय का कैसा ये फेरा

भगिनी.....जगत में कोई नहीं तेरा, समय का कैसा ये फेरा !

गुजर गया जो समय सुहाना, गली या घर सब आना जाना !

लोभ लगा परभाव दिखाने, प्रेम के सब गए दीप बुताने !

मिले न कोऊ कितन तुम हेरा, घना है अब बस सर्द अँधेरा !

भगिनी.....जगत में कोई नहीं तेरा, समय का कैसा ये फेरा !

घर की बड़ी सब कारज साधे, भाई बहिन सब प्रेम से बांधे !

प्रेम मोल सब तुम्हरा भूले, तुमहि सबन विपदा बन घेरा !

भगिनी.....जगत में कोई नहीं तेरा, समय का कैसा ये फेरा !

पूत का धन भाई पर वारा, मन तापर कारा का कारा

भूला भातृ धरम भगिनी का, दिखावे बस झूठ का सवेरा

भगिनी.....जगत में कोई नहीं तेरा, समय का कैसा ये फेरा !
© VIKSMARTY _VIKAS✍🏻✍🏻✍🏻