...

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चलो आज बात कुछ यूं कर लें ...
चलो आज बात कुछ यूं कर लें ,
अपने अपने दायरों का हिसाब कर लें ,
तेरे हिस्से में कितना तू आता है मेरे हिस्से में कितनी मैं
आज ये बात भी साफ कर लें ...

सवाल ये है कि तेरे हिस्से में सिर्फ़ ज़बाब ही क्यूं ,
मेरे हिस्से में बस सवाल ही क्यूं ..
तेरे हिस्से में पूरी मर्जी तेरी ,
मेरे हिस्से में बस इजाजत ही क्यूं ..

तुम्हें नही लगता ये जायज़ नही ,
तेरे हिस्से में तू मेरे हिस्से में पूरी मैं भी नही ..
रिश्तों के इस दोहरे चेहरे की धूल भी साफ़ कर लें ,
अपने अपने दायरों का हिसाब कर लें ...

सवाल ये है कि मुझे मेरे हिस्से में जीने के लिए
तेरी इजाज़त की जरूरत क्यूं है ,
हर रोज़ तेरे हां या न के बीच घुटते रहने की जरूरत क्यूं है ..
ये सारे कायदे सारे बोझ मेरे ही हिस्से में क्यूं है ,
मेरा हिस्सा तेरी तंगदिल इजाज़त का मोहताज क्यूं है ..

जब हिस्से बराबर है तो दस्तूर क्यूं नही ,
तू भी मेरी इजाज़त के घुटन का बोझ उठाने
के लिए मजबूर क्यूं नही ..
सवाल तो बहुत हैं पर असली सवाल बस यही है ,
मेंरे हिस्से में ज़बाब तेरे हिस्से में सवाल क्यूं नही है ..
आज हिस्से बराबर कर इंसाफ़ कर लें ,
अपने अपने दायरों का हिसाब कर लें ,

जितना हक मुझपे तेरा है उतना ही हक तुझपे मेरा है ,
फिर क्यूं बस मुझे ही सारे दायरों ने घेरा है ..
तू चाहता है तेरे लिए मैं सबको छोड़ दूं ,
तू जब चाहे जितना चाहे मैं उतना बोल दूं ..
जब हक है बराबर का तो उसे भी स्वीकार कर लें ,
अपने अपने दायरों का हिसाब कर लें ...

#MaddamSir #YuKi #KarEena


© Jaya Tripathi