...

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हम क्यों जी रहे हैं ?
सुकरात महान ने हँसते हँसते
ज़हर क़ो पी कर मौत का आध्यत्म
समझ लिया था

हम भी खडे हैं उसी जगत में एक लम्बे अर्से से. लेकिन हमें पता नहीं लगा आज तक़ हम जी क्यों रहे हैं?