...

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मैं, तुम और सफ़र
लेकर हाथों में हाथ सनम,
चल चलें अंजान राह सनम,
बेशक़ पता न हो मंज़िल का,
फूलों से सजी हो राह सनम,

होकर बेख़बर इस दुनिया से,
बनाए नया आशियाना सनम,
देखे है जो सपनें तमाम मैंने,
उन सपनों में भरे रंग सनम,

गुज़रे जिस राह से भी हम,
बिखरा हो वहाँ इश्क़ सनम,
न होश अपना रहें हमें कुछ,
न फ़िक्र हो ज़माने की सनम,

© feelmyrhymes {@S}