...

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प्यार

लेकर जुगनूओ को साथ चांद मोज से निकला, तेरी तारीफ के अल्फाज़ को वो खोजने निकला।
सब्र भी बेसब्र होकर सब्र को आजमाता है,
कि तेरे दीद को पाकर खुदा भी ईद मनाता है।
रोज़े कर रहे तारे दुआएं रात पढ़तीं हैं,
हवाएं भी सुनाकर गीत तेरी तारीफ करतीं हैं।
तेरे नाराज़ होने पर समुद्र भी मचलता है,
तेरे इश्क में कुर्बान बनकर बूंदे बरसता है।
मैं तो फिर भी हूं इन्सान मेरा हाल क्या होगा,
तेरे नाराज़ होने पर खुदा भी खुद तड़पता है। हमसे हो गई खता चलो अब माफ़ भी कर दो,
रहो न हमसे यूं खफा कि अब इन्साफ भी करदो


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