...

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भाई मेरा है शहजादा
बचपन में जो एक टाफी पर था लड़ जाता,
बिन कहे हर बात वो आज है समझ जाता।

छाए हो कितने भी गम के बादल,
हर मुश्किल से वो हंसकर लड़ता जाता ।

मेरी खुशियों की खातिर ,अपने सारे गम पी जाता,
लाख मुसीबतों में भी वो मेरी हिम्मत बन जाता ।

छोटा है पर बातें करता बड़ी-बड़ी,
सुनकर लगता जैसे हो वो मेरा दादा ।

अपनी सारी जिम्मेदारी वो बखूबी है निभाता ,
कभी भाई तो कभी पिता बनकर मेरे सारे दर्द मिटाता ।

क्योंकि भाई मेरा है शहजादा .........

#क्योंकि_भाई_मेरा_है_शहजादा .........



© RICHA KAUSHAL ✍️