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विश्वास औरत का मर्द पर
मर्द जात का विश्वास, विश्वास
औरत जात का विश्वास, विश्वास घात

क्या कहते हो,
मैं औरत जात पर विश्वास नही करता,

पर उस औरत जात का क्या,
जिसने एक घटिया,नीच,ढोंगी,मतलबी मर्द,
पर विश्वास किया था,

क्या मर्द ने उसके विश्वास के साथ नही खेला,था
खेला था और बहुत जम कर खेला,था

पर फिर भी औरत ने मर्द को अच्छा समझा, अपना समझा,
और मर्द ने इसी बात का फायदा उठाया,

क्यों की मर्द जात जानता है,
औरत को कैसे बहलाया फुसलाया जाता है,
एक गिरा हुआ मर्द, अपनी हर हद्द पार करता है,
किस लिए/सिर्फ अपनी दो पल की खुशी के लिए..!!!🍂🍁😡

मतलबी तो मर्द जात होता है,
ना की औरत जात,

एक औरत अपनी मर्यादा में रह कर रिश्ते निभाना चाहती है,
पर मर्द जात उसे ऐसे फुसलता है, की वो अपनी मर्यादा हि भूल जाती है,
सिर्फ उस मर्द की खुशी के लिए,
लेकिन मर्द क्या करता है,
लास्ट में उस औरत को हि,गिरा हुआ, बाज़ारू,कह कर उसके जिस्म से जान तक छीन लेता है,

और फिर बेचारी औरत जात,
किसी से कुछ नही कह पाती है,
ना अपनों से ना परायों से,
कहे भी तो किस मुँह से,
उस औरत ने खुद हि उस मर्द को अपना कहा था,
अपने जीवन में उस मर्द को चुना था,
पर आज भी वो औरत अकेली जानती है,
की क्यू उस औरत ने उस मर्द को अपना कहा था,
मर्द तो जान कर भी जान न पाया,
बस कुछ पल साथ रह कर मुँह फेर आया,

पर वो औरत का क्या,
वो तो आज भी घुटन में जीती है
ना कहती है, ना सांस लेती है
बस एक दर्द के साथ अपनी की हुई गलती के साथ चुप चाप अंदर से सहमी हुई,हर पल मरती रहती है ..🍂💔😭