...

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मैं तुम्हारा ही हूँ
मैं तुम्हारा ही हूँ,
चाहे दुनियाँ कुछ कहे।
मैं तुम्हारा ही हूँ,
चाहे तुम मुझसे दूर रहो।
मेरी हर प्रार्थनाओं में,
जो मैं निरंतर करता रहता हूँ।
कि सुबह जब मैं अपनी आंखें खोलू,
तुम मुझे नज़र आओ।
मैं तुम्हारा ही हूँ।

मुझे लगता है कि,
जब हम मिलेंगे।
वो पल कैसा होगा,
जिसे मैं नही जानता।
आज तक मेरी,
सारी आशाएँ तुम पर ही हैं।
तुम निराश नही करोगी,
मैं तुम्हारा ही हूँ।
संजीव बल्लाल २६/५/२०२३
© BALLAL S