...

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नारीकी-आवाज
नादान नहीं मैं, बन बैठी तुम्हारी जान हूं,
फूलो-की भाती, खिलती एक मुस्कान हूं ||

इन फूलोको तोड़ीजो तुमनेतो,
दूसरी कहासे लाओगे |
अन्धियारोकी दुनिया में,
रोशनी कहासे पाओगे ||
नादान नहीं मैं, बन बैठी तुम्हारी जान हूं,
फूलो-की भाती, खिलती एक मुस्कान हूं || १||

ममताकी आँचलमें, है मेराभी अधिकार,
हमसे क्यों-नहीं ?,क्यों-करे भैयासे प्यार |
कोयलसी मधुर बोली, मैभी बोलना चाहूंगी,
क्यों-न पिंजरा खोल देते,
उडती परिंदोंसी, मैभी उडती जाउंगी ||
नादान नहीं मैं, बन बैठी तुम्हारी जान हूं,
फूलो-की भाती, खिलती एक मुस्कान हूं ||२||

कल्पनामें आज तक उड़ती रही मै,
साधनासे सिहरकर मुड़ती रही मै |
सुख नही यह; नींद में सपने सजोती,
तुम्हारे कारन इन सप्नोको छू-न पाती ||
नादान नहीं मैं, बन बैठी तुम्हारी जान हूं,
फूलो-की भाती, खिलती एक मुस्कान हूं ||३||

बिंदु बनकर मै तुम्हे ढलने न देती,
क्यों सिन्धु बन, तुम मुझे उड़ने न देते ?
मन बहलाती, चल्तिफिरती मै बयार हूं ||
नादान नहीं मैं, बन बैठी तुम्हारी जान हूं,
फूलो-की भाती, खिलती एक मुस्कान हूं ||४||

घड़ा-सीस-पे गगरिया गलबाही पा झुमाती,
प्याला मड-से छलक-छलक-कर अपने आपको भिगोती |
मै तेरी सपनोको साज-सजाती,
काश तुम, अन्धियारोसे दूर लेजाते,
रौशनी-बन, मै तुम्हे बुझने-न देती ||
नादान नहीं मैं, बन बैठी तुम्हारी जान हूं,
फूलो-की भाती, खिलती एक मुस्कान हूं ||५||

तुम-उठे भूतल-उठे सागर नभ छू-जाए,
तुम-चले, गति झुम्झुमकर मुस्कुराये |
विपथ-होकर, मै तुम्हे मुड़ने-न दूंगी,
हर-पथ-पर, प्रगतिको बढ़नेसे रुकने-न दूंगी,
साथ तुम्हारा मिले-अगर,
सात-समुन्दर मै पार करू ||
नादान नहीं मैं, बन बैठी तुम्हारी जान हूं,
फूलो-की भाती, खिलती एक मुस्कान हूं ||६||

© 2005 self created by Rajeev Sharma