...

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जीवन एक क्रांति मांगता है
मनुष्य अद्भुत है
हम अद्भुत हैं
जब वह मिली
लगा सब मिल गया
एकाएक हमारे विचार, मूल्य
लक्ष्य, पसंद और सपने मिलने लगे
लगा बस इसी के लिए तो मेरा जन्म हुआ था
जीवन में इतने संघर्ष इसी के लिए हुए थे
इसी एक झोंके में हजारों ख़्वाब देखे हमने
निश्चय किया कि साथ रहेंगे जीवन भर
लेकिन कुछ दिन साथ रहने के बाद
विचार में भिन्नता हो गयी
सपने भी अलग होने लगे
पसंद तो कुछ और बन गया
और लक्ष्य हम तय ही कहाँ करते हैं
इसका ठेका तो समाज ले रखा है
दरसल वो लक्ष्य का ही नहीं बल्कि
हमारे सपने, मूल्य ,विचार ,पसंद सारा कुछ का ठेका ले रखा है
इसलिए हमारा अलग होना तय था
मैं उसको दोषी भी भला कैसे मानूँ
उसका सोचना उसका सोचना था ही कहाँ
वह तो उसकी व्यवस्था से नियंत्रित थी
इसलिए मेरा हृदय कहता है कि
जीवन एक क्रांति मांगता है
बेहतर होने के लिए
प्यार के ही नहीं सारे क्षेत्र में