जिंदगी
शायद ही कोई इंसान इस समाज की कुरीतियों और बुराइयों से बच पाता हो
समाज की बजह से ही जानें कितने लोगों ने अपनी जान की कुर्बानियाँ दी हैं
इंसान परिस्थितियों का तो सामना कर लेता हैं लेकिन समाज का नहीं, ये समाज उसको जीने नहीं देता
लाइफ में हर इंसान चाहता है कि वह तरक्की करे, आगे बढे
लेकिन परिस्थितियाँ उसको घेर लेती हैं कुछ लोग उसको समझ नहीं पाते, उसका मजाक बनाते हैं
जिंदगी से लड़ना उससे जूझना इतना आसान नहीं होता है, बहुत कुछ खोना पड़ता है
अपने पराये सब कुछ पीछे छूट जाते हैं, सारी जिंदगी इसी में निकल जाती है कि, कभी तो ये वक्त अपने साथ होगा
जिंदगी झट से ऐसे निकल जाती है पता ही नहीं चलता
ऐसा लगता है कि आप इस दुनिया में नहीं हो, बस जी रहे हो दिखाने के लिए, कि हाँ मैं हारा नहीं हूँ , जबकि आप अंदर से बिल्कुल टूट चुके होते हैं
एक वक्त आता जब आप पहली सारी बातें भुला देना चाहते हैं जैसा भी वक्त आपके साथ गुजरा है लेकिन भुला नहीं पाते
ये दुनिया ताने दे दे के अंदर इतने घाव कर देती है कि उस वक्त की परछाईं भी अगर इस दिल पर पड़ती है तो पल भर में पलकों से आँसू निकल आते है
जिंदगी का नाम जीना भी होता है, ये सब तो उसको किताबों में, फिल्मों में देखने को मिलता है, असल में तो वह खुद भी नहीं जी पाता
© Naveen Kumar
समाज की बजह से ही जानें कितने लोगों ने अपनी जान की कुर्बानियाँ दी हैं
इंसान परिस्थितियों का तो सामना कर लेता हैं लेकिन समाज का नहीं, ये समाज उसको जीने नहीं देता
लाइफ में हर इंसान चाहता है कि वह तरक्की करे, आगे बढे
लेकिन परिस्थितियाँ उसको घेर लेती हैं कुछ लोग उसको समझ नहीं पाते, उसका मजाक बनाते हैं
जिंदगी से लड़ना उससे जूझना इतना आसान नहीं होता है, बहुत कुछ खोना पड़ता है
अपने पराये सब कुछ पीछे छूट जाते हैं, सारी जिंदगी इसी में निकल जाती है कि, कभी तो ये वक्त अपने साथ होगा
जिंदगी झट से ऐसे निकल जाती है पता ही नहीं चलता
ऐसा लगता है कि आप इस दुनिया में नहीं हो, बस जी रहे हो दिखाने के लिए, कि हाँ मैं हारा नहीं हूँ , जबकि आप अंदर से बिल्कुल टूट चुके होते हैं
एक वक्त आता जब आप पहली सारी बातें भुला देना चाहते हैं जैसा भी वक्त आपके साथ गुजरा है लेकिन भुला नहीं पाते
ये दुनिया ताने दे दे के अंदर इतने घाव कर देती है कि उस वक्त की परछाईं भी अगर इस दिल पर पड़ती है तो पल भर में पलकों से आँसू निकल आते है
जिंदगी का नाम जीना भी होता है, ये सब तो उसको किताबों में, फिल्मों में देखने को मिलता है, असल में तो वह खुद भी नहीं जी पाता
© Naveen Kumar
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