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एक असम्भव प्रेम गाथा अनन्त।।
एक दास्तान -आप जानता चाहते हो ,साहब,कि मुझे इस मर्द जाती से नफ़रत है! तो सुनो , मैं बम्बई में आई बाबा,दो छोटी बहनों और एक छूटा भाई के साथ रहती थी ! बाबा सरकारी दफ्तर में चपरासी की नौकरी करते थे ! हम गरीब ज़रूर थे लेकिन खुश थे !बाबा जितना भी धन कमाते थे ,हम भाई बहनों की पढ़ाई में खर्च करते थे .वे हमें बड़े अफसर बनना चाहते थे !
वे हमेशा कहते थे कि मैं तो चपरासी का चपरासी ही रहा ! परन्तु तुम सबको अफसर बनाऊंगा ! हम भी बाबा का सपना पूरा करने के लिए जी जान से पढ़ा करते थे, मैंने बारहवीं कक्षा में प्रथम स्थान लाकर आईं ए एस की तैयारी शुरू कर दी थी !
और एक दिन अचानक बाबा की दुर्घटना से मेरे सारे सपने गमों की आधी में तिनका तिनका की तरह बिखर गए ! बाबा के देहान्त के बाद आई भी बीमार रहने लगी और परिवार में सबसे बड़ी सनतान सारी जिम्मेदारी मेरे कंधों पर आ गयी।
मैंने पढ़ाई छोड़ कर एक प्राइवेट नौकरी करने लगीं ! तनख्वाह अधिक नहीं थी, परन्तु घर का गुज़ारा और भाई -बहनो की पढ़ाई करवाने जितना कमा लेती लेती थी, कुछ महीनों बाद अचानक आई बहुत बीमार पड़ गयी।
हम ने उनको एक अस्पताल में भर्ती करवाया ।
कफी दिन गुजर गए मगर आई की बीमारी नयी
सेवर की तरह बढ़ती चली गई ।मैने डाक्टर से पूछा तो उन्होंने कहा कि तुम्हारी मां के इलाज के लिए २४०००लगेगें तभी हम उनका इलाज अच्छी तरह से कर पाएंगे। नहीं तो तुम इनको घर ही ले जाओ तो अच्छा होगा ! वैसे भी तुम्हारी मां इस तरह बच नहीं पाएगी।।
#डाक्टर
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