...

3 views

एक असम्भव प्रेम गाथा अनन्त है।।
एक औरत वैशया कब बनती?-प्रशनवाचक 🧔
🪔 एक दीर्घ योगदान 🩸
वो अपने अस्तित्व तथा इज्जत दोनो को ही प्रकृति को समर्पित कर अपना बलिदान मूल्य चुकाकर यह गाथा अनन्त कर्मों की गति बिना बधित किए चलाती इस उसे
समाज शिरो मणि रत्नम भी कहता है,।।💎।।
आइए समझते कि यह गाथा अनन्त क्यों है 🪔।
🧕इस गाथा में दो कुल प्रविष्ठियां है 🧑
🙏 मिश्रण श्रोत ताप ज्योति 🪔(वैशया).
🙏अमिश्रत श्रोत ताप ज्योति 🪔(समान्य)
प्रेम श्रोत भोग योनि वीर्य "सर्वप्रथम सर्वोपरि भोगम् परोशयनति योनिनिरमित,चूत संतोषा सा गान्डम् स्वीकार नायिका द्वारा स्वीकारस्ह नायकाम् परिश्यामि सा लन्डम् स्थापिताह सा नायिका योनिम् स्वीकारम् सा वीर्य लय कादमि थमम्।।"नायक"।।
🧑‍🏫 प्रशनवाचक प्रश्र🧑‍🏫

📝 जो कपड़े उतरवा सकता है वो मना क्यों नहीं सकता है 🧑‍🏫
🧑‍🏫 एक वेशया की उड़ान 📝
🧑‍🏫 मगर क्या (गृहक) कोई फरिश्ता बनकर किसी को यह गाथा पूर्ण करने के योग्य कर सकता है।।🧑‍🏫
शर्त ए सुनदरी -क्या कोई बिना स्पर्श जीवन यापन कर सकता है एक कन्या के साथ।।🧑‍🏫।।
क्या संभव कि वह प्यार में जिस्म की बू में लिप्त ना होकर वह अस्तित्व ए सौदागर ना कहलाकर एक नायक -कृष्णानन्द वैशलयकरमी राजपूत वासुदेव कहला पाए।।
क्या लड़की इस कहानी की पात्र है!🧑‍🏫
हां तो क्यों और नहीं तो क्यों नहीं!🧑‍🏫
क्या लड़का इस गाथा का पात्र कहलाने के योग्य है।।🧑‍🏫
#सत्यताह
© All Rights Reserved