...

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कुछ भी... 🍂

कलम में हैं
अभी अज्ञान बहुत
और धार भी कुछ खास नहीं
बहुत खोखले हैं शब्द मेरे
और मालूम है मुझको
ये नज़्म भी
आधी -अधूरी और बेअसर है...

© संवेदना