...

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किताबों से...❤️❤️✍️✍️ (गजल)
निकाले हमने सूखे फूल किताबों से
न जज्बात हुए मेरे कुबूल किताबों से

वो क्या पढ़ता मेरे अल्फाज दिल के
उसने हटाई तक न धूल किताबों से

किताबों ने की है सदा ज्ञान की वर्षा
निकले नहीं कभी भी शूल किताबों से

हमें डरना चाहिए था जमाने से 'सत्या'
हम डरते रहे यार फिजूल किताबों से

खुदा ने नहीं सिखाई दगा मोहब्बत में
वो पढ़ करके आया उसूल किताबों से

धर्म के पैगम्बर तो बहकाते रहेंगे हमें
हम समझें जीवन का मूल किताबों से

आदमी ने तोड़ दी है किताबों से दोस्ती
क्या हो गयी है कोई भूल किताबों से



© Shaayar Satya