...

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मतलबी रिश्ते
मानते रहे अपना सबको,
मिला जो भी यहां।
छोड़ बैठे साथ अब सब,
छुप गए न जाने कहाँ।।

भूल से जो मिल भी जाये,
पूछते तुम कौन हो।
दिल हमारा ये कहे अब,
ऐ 'विनीत' अब मौन रहो।।

जो न समझे कुछ यहाँ पर,
उससे बोलना ही व्यर्थ है।
आज तो बच्चा भी समझे,
कि, मौन का भी अर्थ है।।

मतलबी रिश्ते यहां पर,
बस मतलबी संसार है।
काम जब तक हो किसी से,
रहता तभी तक प्यार है।।

अब समझना है तुझे ये,
कुछ नहीं संसार में।
जिंदगी इक जंग ही है,
है बस छलावा प्यार में।।


© Vineet