...

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पिता जी.. 🥰🥰
माँ घर की सजावट की तरह,
To पिता जी घर की दीवार होते है।
पिता जी की पूरी उम्र बच्चों की लाइफ बेहतर बनाने में निकल जाती है।
खुद की तबियत का ध्यान नही रखते,
लेकिन बच्चों की ख्वाहिशें याद रहती हैं।
वो पिता जी ही हैं, जिन्हें अपने बच्चे की भविष्य की चिंता सताये रहती है।
फ़िक्र वो सबकी करते हैं, बस जताते nahi हैं।
Vo कैसे हमें पढ़ा लिखा रहे हैं, कभी सुनाते नहीं है।
और कहाँ से...और कहाँ से...
कितना उधार लिया है, हमारी पढ़ाई और ख्वाहिशें पूरी करने में, ye सिर्फ़ मेरे पापा और मेरे प्रभु श्रीराम राम 🙏🙏 जानते हैं।
इस तपती धूप गर्मी, में करते रहते हैं काम
मैने देखा है , मैने देखा है की मेरे पापा टूटी चप्पल पहन लेते हैं, लेकिन मैने ये कभी नहीं सुना की हमें नई चप्पल चाहिए।
पापा की दौलत नहीं, पापा का साया काफ़ी होता है Ek story hai.. पिता जी के लिए मेरी तो नहीं है लेकिन feelings के साथ लिखा रहा हूँ....
एक लड़का था जो इंजीनियरिंग की तैयारी करता था उसके पिता जी हमेशा कहते, बेटा अच्छे से पड़ना।
Ek रोज काल आया पिता जी को बेटे का, बोलता है की मेरे सभी दोस्तों के पास Bike🚴 है पापा और मुझे भी चाहिए। Collage की छुटियाँ हुई बेटा घर आ गया, फिर बहस हुई एक दिन, बात आगे बड़ गई। अगले दिन मम्मी-पापा मार्केट चले गए सुबह- सुबह।
बेटा अभी भी गुस्से में था, टेबल पर पापा का रखा पर्स उठा लिया , और पापा की ही चप्पल पहन ली। कुछ दूर चला तो, पापा की चप्पल थी, रास्ते में टूट गई।जिससे पैर मे काटें लग गए।
लड़के ने सोचा जेब मे पर्स है है किसी अच्छे hospital में इलाज़ करा लगा, बाकी जो बचेंगे वो खाने पीने में खर्च हो जायेंगे। उसने पर्स देखा, सिर्फ 100 rs ka नोट और, बाकि पर्स काग़ज से भरा हुआ था। उसने गुस्से मे पापा को मन ही मन बोला, इतने गरीब है की रुपये भी नहीं रखते। अब उसने काग़ज की पहली पर्ची को देखा, जिसमे पिता जी 40000 rs अपने दोस्त से लिए थे बेटे के लैपटॉप लिए। वो थोड़ा इंमोशनल हो गया। फिर उसने बाकी पर्ची भी देखी,दूसरी पर्ची मे उसकी पढाई के लिए गिरवी जमीन के काग़ज थे, कुछ पर्ची बिल की थी, जैसे light, किराना, शॉप रेंट, उसे एक आखिरी काग़ज मिला जो की किसी पेपर की कटिंग थी, जिसमे लिखा था, पुराने स्कूटर के बदले में new Bike 🚴.वही स्कूटर जिस से उसकी बचपन की यादें जुड़ी हुई थी,और रोजमर्रा की जरूरत को पूरा करता था। वो दौड़ कर घर की ओर भागा,काटें, कंकर पत्थर उसके पैर मे लग रहे थे, लेकिन किसी चीज की परवाह नहीं थी. घर पर पहुँचा तो की nahi था, वो उस पेपर मे दिए address पर पहुँच गया ।
Pita ji Bike🚴 खरीदने की की बात कर रहे थे।
लड़का अपने पिता जी मे कदमों मे गिर पड़ा और बहुत रोया। लड़का बोलता है कि , पापा मुझे कुछ नहीं चाहिए, मुझे माफ़ कर दीजिये मैने आपको इतना परेशान किया। अब मैं अच्छे से पाडुगा। और पापा इंजीनियर भी बनूगा।
तो दोस्तों कोई भी ऐसा काम मत करना जिससे पापा की आँख मे आँसू आये। वो किस मेहनत से तुम्हें पड़ा लिखा रहे हैं, कहाँ से कितना उधार है, ये सिर्फ वही जानते हैं।








© Harsh_poet🥰