...

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इतवार
इतवार की अलसायी सुबह
वो देर तक बिस्तर में पड़े रहना
वो ठंडी चाय का प्याले
वो तेरे संग बे-मन से चहल कदमी
वो सुबह देर से नाश्ता करना
वो दोपहर का नहीं कोई ठिकाना
वो देर दोपहर जागना
वो चाह बस तेरे पहलू में पड़े रहना
वो शाम को दोपहर का खाना
वो इतवार की थकान उतरने को
वो रात बाहर खाना और मूवी

जान मेरी,
चाहता हूँ मैं कि हर इतवार हमारा
कुछ इस तरह गुज़रे...

© अजयवीर सिंह वर्मा 'क़फ़स'

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