lockdown
न दोस्त न रिस्तेदारो से मिले हम,
न हि किसी अखबारों से मिले हम,
घर पर बैठे हैं बन कर कैदी,
हां आजकल अपने हि खयालों से मिले हम।
जो लोग कभी भूल गए थे परिवारों को,
काम काज...
न हि किसी अखबारों से मिले हम,
घर पर बैठे हैं बन कर कैदी,
हां आजकल अपने हि खयालों से मिले हम।
जो लोग कभी भूल गए थे परिवारों को,
काम काज...