...

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हर दिन पिता दिवस
मैंने हर उस दिन पिता दिवस मनाया है,

जब अपने परिवार के लिए

अपने पिता को ज़िंदगी जीते नहीं,

समझौते करते हुए पाया है।

मैंने हर उस दिन पिता दिवस मनाया है,

जब-जब पिताजी जी को मधुमेह जैसी बिमारी में भी

काम करता पाया है।

वो काम कुछ आसान तो नहीं था,

शेहरों के धक्के खाना,

खचा खच भरी रेलगाड़ी में सारी रात बैठ कर जाना,

पापा तुम्हें हमारे लिए सदा त्याग करता पाया है,

मैने तो हर पल तुम्हें देख कर पिता दिवस मनाया है।


उस पर मिरगी ने भी तुम्हें ख़ूब सताया था,

"सरदारजी अब बाहर ना जाया करो",

हर डॉक्टर ने चैताया था।

मगर तुमने हमारे लिए हर बोझ उठाया है,

मैंने तो हर दिन ही पिता दिवस मनाया है।


वो दिन आज भी याद है मुझे जब तुम काम के लिए निकले

और फिर कभी ना आये,

लोग कहते हैं कि रेलगाड़ी के साथ तुम्हारी ज़िंदगी का सफर भी खत्म हो गया था,

इन कट्टू स्मृतियों को जब याद किया है ,

ख़ुद को रोते हुए ही पाया है,

मैने तो हर पल पिता दिवस मनाया है।
You are always respected,loved and missed papa
I know you are happy there
Love you
© Haniya kaur