...

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अक्षर...
इन अक्षरों में बसा है
थोड़ा सूकून, थोड़ा जुनून कभी
अक्षरों में रम जाता है
प्यारा का सुरूर, और इश्क फितूर
कभी अक्षरों में दबा है
कोई आग़ाज़, कोई राज़
कभी अक्षरों में झलक जाता है
कोई अपना, तो कोई बेगाना,
कभी अक्षरों में लिख दिया
अपनी प्रिये का नाम
और कभी अक्षरों में ही मिल जाता है
चैन से सोने का खुमार
बस, हम जैसे लिखने वालों की
शायद यही अक्षरों के बीच है दुनिया
इसलिए जब अलविदा भी कहेगे
तब लिख के जायेंगे कोई अक्षर
फिर इन्ही अक्षरों के संग अमर हो जाएँगे...✍
jaswinder chahal
26/5/2024
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