...

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तुम और में
तुम चीनी सा मिल जाती हो, में कंकर सा पड़ा रहता हूँ।
तुम्हारी मीठी आँखों में, मैं खुद को खो जाता हूँ।
तुम चांदनी सी छाती हो, में तारों सा कतरा रहता हूँ।
तुम्हारी हंसी के साथ, मैं ऊजाला बन जाता हूँ।

जब तुम पास होती हो, ज़िंदगी सज जाती है।
मेरी तन्हाई छुप जाती है, सब गम बह जाते हैं।
तुम्हारी मुस्कान के साथ, मैं रंगीन ख्वाब बन जाता हूँ।
तुम्हारी आवाज़ के साथ, मैं मधुर संगीत बन जाता हूँ।

पर कभी कभी मैं सोचता हूँ, कहाँ है मेरा स्थान।
तुम्हारी असीम प्यार में, क्या है मेरी पहचान।
पर फिर तेरे साथ खड़ा होकर, पूरी दुनिया भूल जाता हूँ।
क्योंकि तुम चीनी सा मिल जाती हो, में कंकर सा पड़ा रहता हूँ।