...

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मैं क्या हूँ, मैं क्यूँ हूँ ऐसी
ये सवाल जिसके हृदय में गूंजते हों
उससे ज्यादा खामोश शायद ही कोई हो
वो हर लम्हा, हर पल
बस खुद से दूर जाने के बहाने ढूँढता है
उसे खुद के अंदर घुटन होती है
उसके अंतर्मन का प्रेम मर जाता है
वह बस खयाली दुनिया में
खुद को पहचानने के रास्ते खोजता है
रास्ते में चाहे जितने प्रेम से कोई स्वागत करे
उसे बस वह एक पल का बुरा सपना लगता है
वह हर एक आवाज को मिटा देता है
उसके अंदर इतना शोर होता है की
मीठी आवाजों से वह दूर ही रहता

" जिंदगी ईश्वर की दी हुई सज़ा है
और मौत उसका कीमती तोहफा है "
unknown..