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खुद को मैंने बदला है...!
मुझको बदला नहीं किसी ने खुद,
को खुद से मैंने बदला है...!
खुद ही फिसल गई थी मैं अब खुद
से खुद को संभला है;
नहीं रहा सहारा किसी का जब हमदर्द मैं खुद
को बनाया है!
ये दुनिया मुझे समझे न समझे
खुद को मैंने समझाया है...
जिन पर किया कभी था भरोसा उन,
से भी अब दुरिया बनाया है..!
मिला नहीं था जो प्यार किसी से
आज खुद से इज़हार जताया है;
खुद ही फिसल गई थी मैं अब खुद
से खुद को संभला है...
मुझको बदला नहीं किसी ने खुद
को खुद से मैंने बदला है..!!
को खुद से मैंने बदला है...!
खुद ही फिसल गई थी मैं अब खुद
से खुद को संभला है;
नहीं रहा सहारा किसी का जब हमदर्द मैं खुद
को बनाया है!
ये दुनिया मुझे समझे न समझे
खुद को मैंने समझाया है...
जिन पर किया कभी था भरोसा उन,
से भी अब दुरिया बनाया है..!
मिला नहीं था जो प्यार किसी से
आज खुद से इज़हार जताया है;
खुद ही फिसल गई थी मैं अब खुद
से खुद को संभला है...
मुझको बदला नहीं किसी ने खुद
को खुद से मैंने बदला है..!!
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