...

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तुझे गंगाजल समझा था...
अंतिम सांसों में घुल कर के,
गर एक घूंट भी मिल जाए,
सुना है सीधी जन्नत मिलती है।
मुझे इस हाल में छौड़ने वाले,
तुम्हें गंगाजल समझा था।

© छगन सिंह जेरठी