...

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लिखता आज भी हूँ
कितना अजीब है न, पहले तेरे लिए लिखता था,
आज तेरे बारे में लिखते हूँ।

पहले तेरे प्यार में लिखता था,
आज तेरी बेवफाई पे लिखता हूँ।

लिखता आज भी हूँ, पर उसके मायने बदल गए,
पहले जो दर्द में भी सुकून था, अब वो जख्म बन गए।

© नि:शब्द