...

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मेरी चाह इतनी
आज मैं बेवजह कागज के ऊपर,
शब्दकोश को परेशान कर रहा हूं,
बेवजह स्याही बहा रही हूं,

जैसे बेवजह बचपन गुजार दिया,
बेवजह कुमार की उम्र बिता दी,
बेवजह यौवन लूटा दिया,

बेवजह,
कहने लगा,
अभी मैं तो छोटा हूं,
अभी अभी तो दुनियां देख रहा हूं,
और कुछ सपने देखने दो,

बेवजह एक दिन चल दिया करूंगा,
बेवजह गंगा गया में,
मेरी अस्थि बहा दी जाएगी,

धुंधले आंखों से,
हां! वजह की साध में,
आज मैं बेवजह लिख रहा हूं....।
© Aditya N. Dani #WritcoQuote #writer