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ख़ामोशी.... 🖋️🌼🍂
ख़्वाब ख़ामोश बैठे हैं ख्यालों में ही
ख्वाहिशें भी मुद्दत से डरी सहमी हैं
ज़िंदगी में पाने के मौके गिन चुनकर
खोने के अगर गिने,ना कोई कमी है
कब तक समझाएँगे अपने आप को
रिश्तों में समझौतों की काई जमी है
अपनों को खोने से कौन नहीं डरता
इस दिल की ये घबराहट लाज़मी है
अंदाज़-ए-बयाँ मेरा सख़्त ही रहेगा
दिखाई नहीं जाती, आँखों में जो नमी है
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© संवेदना
#ख्याल_नये_पुराने
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