दोहे
जग के माया जाल से, कहो बचा है कौन।
ठगनी इसका नाम है ,करे सभी को मौन।।
जग के माया जाल के, वश में उपजे लोभ।
करनी का फल भोगते,मनुज करें क्यूँ क्षोभ।।
उलझाए इंसान को, जग का माया-जाल।
काम,क्रोध,मद,लोभ में, फँस के मचा बवाल।।
© दीp
ठगनी इसका नाम है ,करे सभी को मौन।।
जग के माया जाल के, वश में उपजे लोभ।
करनी का फल भोगते,मनुज करें क्यूँ क्षोभ।।
उलझाए इंसान को, जग का माया-जाल।
काम,क्रोध,मद,लोभ में, फँस के मचा बवाल।।
© दीp
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