...

8 views

मना लो अपनों को
मना लो अपनों को, जिन्हें खो बैठे हम,
वो लम्हे, वो ख्वाब, अब बस याद बैठे हम।

दिल में छुपी धड़कन, उनकी यादों की धुन,
साथ चलती है, हर राह में साथ बैठे हम।

जब भी उनकी याद आए, आंसू बह उठें,
वो दिन, वो रातें, फिर से सामने लाए हम।

कितना कहूँ उन्हें, अपने दिल की बातें,
वो ना समझे, फिर भी हर बात कह बैठे हम।

ख्वाबों में भी वो आते हैं, मेरी ज़िंदगी में,
बिन बुलाए, बिन मांगे, कुछ इस तरह समा बैठे हम।

मना लो अपनों को, जिन्हें खो बैठे हम,
वो लम्हे, वो ख्वाब, अब बस याद बैठे हम।
© Simrans