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चलें लाडली के बरसाने में...🌹🌹
जब कभी मुझे बुलायें किशोरी
तो मैं पहुंचूं बरसाने में
फिर मैं क्यों रहूं भला बताओ
इस निर्दयी जमाने में
आनंद लूं उनकी संगति का
उनके प्रेम उनकी ममता का
रहूं ताउम्र उनके चरणों में
मस्त रहूं उन्हीं के भजनों में
हर पल दीदार करूं उनका
हर पल छत्र छाया में रहूं मैं
उंगली पकड़के चलूं उम्र भर
राधे राधे गाऊं और क्या कहूं मैं
उनके साथ करूं हंसी ठिठोली
वो प्यार से हंस के लगा लें गले
मैं तो गाऊंगा राधारानी के गुण
ये जमाना 'सत्या' जले तो जले
उनके महल के वो शोभनीय दृश्य
आहा,हर कोई मोहित हो जाये
उनके हंसने से तो जैसे कायनात
कण कण ही सुशोभित हो जाये
हां वो करेंगी मेरी इच्छा पूरी
वो मुझे निराश नहीं करेगी
शायद अभी मैं उनके काबिल नहीं
मगर वो कृपा तो जरूर करेंगी
नाराज और गुस्सा तो वो होती नहीं
भक्त जागता है तो वो भी सोती नहीं
कितना प्यार करतीं हैं
इसका अनुमान नहीं
वो सबको अपना लेती हैं
जिनको अभिमान नहीं
जिस को लग जाये बरसाने की हवा
फिर काम नहीं करती कोई भी दवा
दवा तो वहीं देती हैं ठकुरानी हैं वो
हां,सही पहचाना मेरी राधारानी हैं वो
हां, सही पहचाना मेरी राधारानी हैं वो
🌹प्रेम से बोलो राधे राधे 🌹

© Shaayar Satya