...

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वक़्त
कहते है वक़्त से बड़ा कुछ नहीं होता ,
वक़्त हर घाव भर देता है ।
लगा देता है सारे झकम पर मरहम ,
सारी तकलीफ़ दूर कर देता है ।
गलत! वक़्त कुछ नहीं करता ।।
वक़्त हमें ये जरूर बताता है दर्द क्या है ,
पर उस दर्द को कम कैसे करना है वो नहीं बताता ।
वक़्त ये तो बताता है कौन अपना है कौन पराया ,
पर वक़्त अपनों को अपना बनाकर नहीं
रखता ।
वक़्त कुछ नहीं करता ।।
वक़्त घाव नहीं भरता ।।
बल्कि हमें उसके साथ जीना सिखा देता है ,
सीखा देता है उन्हीं तकलीफों में जीना ,
जिसने हमें किसी समय में तोड़ कर रख दिया ।
वक़्त बस आगे बढ़ता रहता है ।
और हम उस वक़्त को अपना वक़्त मान बैठ जाते है ,
छोड़ देते है सारी उम्मीद उस वक़्त पर
ये कहकर की हमारा भी वक़्त आएगा ।
लेकिन वो वक़्त कभी नहीं आता ,
वो वक़्त लाना पड़ता है ,
मेहनत करनी पड़ती है ।
ज़मीन आसमान एक करना पड़ता है ,
खुद की ही किस्मत से लड़ना पड़ता है ।
खुद ही गिर कर खुद ही उठना पड़ता है ,
वक़्त कुछ नहीं करता ।
वक़्त से कराना पड़ता है ।।