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जो आकर्षण के सिद्धांत को समझ गया, वो चूकेगा नहीं |
सन्त की दृष्टि आकर्षण पर नहीं पड़ती, सन्त की दृष्टि आकर्षण के परिणाम पर पड़ती है। इसीलिए वह सन्त है, वह तुम्हारी दृष्टि से ऊपर का आदमी है, वह थोड़ा रुककर चीजों को देखता है, वह समझने में अपना जीवन लगाता है।वह तुरन्त ज्ञानी नहीं हो जाता, वह रुककर समझता है। इसीलिए तुम जब भी परेशान होते हो तो सन्त की शरण में जाते हो, तुम केवल वही देख रहे हो जो तुम्हारे सामने है, लेकिन सन्त थोड़ी ऊँची रकम है, वह जो उसके सामने है उसके भी पार जाकर देख रहा है। वह उसका परिणाम देख रहा है, आकर्षण होता ही उन चीजों के प्रति है जिनकी हमें अभी पूर्णतः जानकारी नहीं है। आकर्षण सदा अनजान और बिना जानकारी की चीजों का होता है।जो जैसा है उसे बिल्कुल वैसा का वैसा देखना और समझना ही बोध है, ज्ञान है ।ज्ञान का अर्थ है “जान” जो जान गया वह अब आकर्षित न हो सकेगा।
© 🌍Mr Strength