...

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500 वर्ष पश्चात
त्भयूट_इन_इंक
स्वागतम् स्वागतम्। सुस्वागतम
पधारो भव भव के भगवान
दिया आत्र को गौरव भारी होके महा महान
नयनाभिराम! लोकाभिराम !
ले ल़ो मेरा पुलकित प्रणाम
नव मृणाल से भी कोमलतर
पीत वसन युत नील मनोहर
तब अंग अंग की श्री शोभा पर
हम वारें शत् शत् कोटि काम
नयनाभिराम ! लोकाभिराम
तुमने तारी गौतम नारी
भव सागर से पार उतारी
गनिका अजामिल व्याध
अधम पापी तारे
सीता हर ले गया रावण
तुमने हर लिए रावण के प्राण
नयनाभिराम! लोकाभिराम
अग्नि बाण सा नाम तुम्हारा
पापों पर है पूर्ण विराम।
नयनाभिराम! लोकाभिराम
ले ल़ो मेरा पुलकित प्रणाम ।