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शौक
शौक है मुझको जज़्बातों को अल्फ़ाज़ों में बदलने का, शौक है मुझको मन के भावों को क़लम से उगलने का।

मेरा शौक मुझको तन्हा या उदास नहीं रहने देता कभी, दिल बहलाता है, सबब देता है हर हाल में ख़ुश रहने का।

ऊबती नहीं मैं तन्हाई में, तन्हा रहूँ तो कविता लिखती हूँ, क़लम चलाना एक हुनर है समय का सदुपयोग करने का।

दिल की कुछ बातें जो जुबाँ पर नहीं आ पाती हैं कभी, मेरा शौक काम आसान करता है उनको बयाँ करने का।

मेरा शौक मुझको निराश नहीं होने देता है जीवन में कभी, चाह जीने की जगाकर मार्ग बताता है निराशा से उभरने का
© सोनी

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