...

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Rishto ki gehrayi...🌿
उदास ख़ामोश बैठी थी अपने आंगन में
एक गौरैया बना रही थी घौसला एक घने पेड़ में
जल्दी जल्दी आती और जल्दी जल्दी जाती वो
घास फूस के तिनके ,चोंच से पकड़ कर लाती वो
बुन रही थी वो एक नया घौंसला अपना प्यारा
सिर्फ घास फूस थी उसका साजो सामान प्यारा
दिन बीते ,मौसम बदले और रुख बदला हवा का
छोटे पांच बच्चे ,फड़फड़ाने कर लगे तोड़ने खामोशी का
चुग्गा खिला खिला कर ,कर रही थी गौरा खड़ा पैरो पर उन्हें
नाच उठती थी मां गौरैया देख पंख फड़फड़ाते उन्हें
निहारती रोज उन्हें ,दिल जुड़ सा गया,लगने लगे अपने
पर पंख लहराते , चूं चूं करते उड़ गए , खो गए सारे बच्चे
दुखी होकर मैंने पूछा गौरैया से, छोड़ क्यूं गए बच्चे तेरे बेवजह
अपनी मां से रिश्ता तोड़ क्यूं गए हम बैगैरत इंसानों की तरह
दुखी रोती गौरैया बोली ,तुम इंसान भी तो छोड़ गए
बगैर कुछ करे ही तेरे लिए, अपना हक छीन ले गए
मेरे बच्चें भी चले गए मुझे बेसहारा बिलखता अकेला छोड़ यहीं
पर वो मुझसे लड़ेंगे नहीं ,क्योंकि देने के लिए मेरे पास कुछ नहीं
अब तो समझ गई अन्वी यहा संबंध राजनीति के सिवा नही कुछ
और इस फरेबी दुनिया में ,रिश्ते एक व्यापार के सिवा नहीं कुछ !!🌿

#writcopoem
#family relationship...
no caption...🥺
I'm nt able to ✍️✍️ write..
dnt know why ...😔🥺
#🌿💚!???