![...](https://api.writco.in/assets/images/post/default/story-poem/normal/HUMOR A.webp)
14 views
ए मेरे दिल
' ए मेरे दिल' जरा तू ये तो बता ,
इतने क्यों हो आहत? क्यों हो खफा?
हो गए हो मौन कुछ तो कहो ,
क्यों यूं मुंह फूला कर बैठे हो?
माना ख़ामोशी है हथियार बड़ा ,
आगे जिसके होता है धुरंधर भी धाराशाह।
हर बार दूसरों को झुकाना तो मकसद नहीं होता है ,
कभी समझाना और कभी खुद समझना भी होता है ।
बातचीत की ताकत को पहचान कर देखो,
जो बात चुभ रही है वो कहना सीखो ।
नामुमकिन कि कोई तेरे मौन की भाषा समझ जाएगा,
फिर कैसे बोलो वो खुद के व्यवहार में बदलाव लायेगा?
बताओगे तो शायद कोई समझ भी जाए,
वरना हो सकता है वो तुम्हें ही गलत समझने लग जाए ।
' ए मेरे नादान दिल' करना सीखो बयां जज़्बात ,
नहीं तो तुम्हारे अपने लिए ही बिगड़ेंगे हालात।
अच्छा लगता है या बुरा सब बता दिया करो,
ज्यादा देर नाराज़ न रहा करो ।
तुम हंसते हो तो मेरे लबों पर मुस्कान आती है,
ज़िंदगी को भी सकूं की सांस आती है ।
मानती हूं लगती अपेक्षाएं कभी कभी भारी हैं,
पर तुम्हें खुश रखना आख़िर मेरी ही तो ज़िम्मेदारी है।
© Geeta Dhulia
इतने क्यों हो आहत? क्यों हो खफा?
हो गए हो मौन कुछ तो कहो ,
क्यों यूं मुंह फूला कर बैठे हो?
माना ख़ामोशी है हथियार बड़ा ,
आगे जिसके होता है धुरंधर भी धाराशाह।
हर बार दूसरों को झुकाना तो मकसद नहीं होता है ,
कभी समझाना और कभी खुद समझना भी होता है ।
बातचीत की ताकत को पहचान कर देखो,
जो बात चुभ रही है वो कहना सीखो ।
नामुमकिन कि कोई तेरे मौन की भाषा समझ जाएगा,
फिर कैसे बोलो वो खुद के व्यवहार में बदलाव लायेगा?
बताओगे तो शायद कोई समझ भी जाए,
वरना हो सकता है वो तुम्हें ही गलत समझने लग जाए ।
' ए मेरे नादान दिल' करना सीखो बयां जज़्बात ,
नहीं तो तुम्हारे अपने लिए ही बिगड़ेंगे हालात।
अच्छा लगता है या बुरा सब बता दिया करो,
ज्यादा देर नाराज़ न रहा करो ।
तुम हंसते हो तो मेरे लबों पर मुस्कान आती है,
ज़िंदगी को भी सकूं की सांस आती है ।
मानती हूं लगती अपेक्षाएं कभी कभी भारी हैं,
पर तुम्हें खुश रखना आख़िर मेरी ही तो ज़िम्मेदारी है।
© Geeta Dhulia
Related Stories
27 Likes
27
Comments
27 Likes
27
Comments