...

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दिल के अल्फाज
मैं दरवाज़े पे खड़ी हूं कि इक दिन तुम आओगे।
मैं बेचैन बड़ी हूं कब तक तुम आजमाओगे।।

जिंदगी उलझी उलझी है वक्त थम सा गया है।
बेरंग जिंदगी है रंग प्यार के कब तुम सजाओगे।।

ना जाने कौन सा कहर, कुदरत बरसा रहा है।
ये दुरियां नहीं भाती, नजदीक कब तुम आओगे।।

पल पल मैं टूटती हूं,पल पल बिखरती हूं।
ख्वाबों के सहारे कब तक तुम तड़पाओगे।।

आ जाओ कि अब इंतजार की हद हो गई।
जो वादा किया है उसे कब तुम निभाओगे।।