ग़ज़ल
कुछ करो हुस्न ये दहक जाये,
दिल का पंक्षी ज़रा चहक जाये।
हुस्न ऐसे शबाब पर है तेरा,
दिल ये मेरा बहक बहक जाये।
मुझपे तू काश इक नज़र कर दे,
दिल की बगिया मेरी महक जाये।
यूं बिखेरो न हुस्न के जलवे,
आग दिल की न ये दहक जाये।
© शैलशायरी
दिल का पंक्षी ज़रा चहक जाये।
हुस्न ऐसे शबाब पर है तेरा,
दिल ये मेरा बहक बहक जाये।
मुझपे तू काश इक नज़र कर दे,
दिल की बगिया मेरी महक जाये।
यूं बिखेरो न हुस्न के जलवे,
आग दिल की न ये दहक जाये।
© शैलशायरी
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