...

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उदासी
आप के पहलू में आके रो दिए
दास्ताने ग़म सुना के रो दिए
कर दिया ज़िन्दगी ने जब भी उदास
आ गये घबरा के हम आपके पास
सर झुकाया सर झुका के रो दिऐ
ग़म जुदाई का सहा जाता नहीं
आपके बिन अब रहा जाता नहीं
प्यार में क्या क्या गंवा कर रो दिए
शाम जब आंसू बहाती आ गई
ज़िन्दगी में और उदासी छा गई
दीप यादों के जला कर रो दिऐ