...

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रिफ़ाकत
कदम से कदम मिलाते,
ऐसी रिफ़ाकत हो जाए,
हाथों से हाथ छूटे न कभी,
चाहे क़यामत हो जाए,
तुझे मेरी, मुझे तेरी,
ऐसी आदत हो जाए,
साथ निभाने की कुछ,
ऐसी रिवायत हो जाए,
इश्क इश्क न रहे,
बस इबादत हो जाए।
- राजेश वर्मा

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