...

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ये कैसी बेताबी ?
ये कैसी बेचैनी ?
ये कैसी बेताबी ?
इस कदर तुम्हारी यादों में खोये हे हम,
ना होशो आवाज़ हमको !

इस दिल में यैसे समाये हो,
जैसे जिस्म में ज़ेहर,
जिससे हम खुद बेखबर !
मेरे ज़िन्दगी के यैसे विष हो तुम,
जिसे निगलने की...