...

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"अतीत का पीछा"
करते हैं कुछ अपने ही,
हमारे अतीत का पीछा..!

भूखे रह कर जिनके,
भविष्य को हमने सींचा..!

क़दम क़दम पर दुत्कार,
अपशब्दों की मार..!

आगे बढ़ने से पहले ही,
ऐसे पैर खींचा..!

देते नहीं छाया वो वृक्ष,
केवल क़द है जिनका ऊँचा..!

ख़ुद को दिखाते रहे,
आकाश सा अव्वल..!

अभिमान की जुबाँ बोले,
ज़माने में दिखाये हमें नीचा..!
© SHIVA KANT

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