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घर लौट लिया जाए
दोस्ती हमसे वो यूं निभाते हैं
मिले नजरे तो मुंह फेर लेते हैं।।
मुखोटो ने भी कर दी बगावत
आइना चेहरे को पहचान लेते हैं।।
बहुत दूर तक चलना मुनासिब नहीं
सुना है अंधेरे उजालों को भी घेर लेते हैं।।
डूबने का अब किसी को डर नही लगता
पत्थर भी लहरों संग दूर तक तैर लेते हैं।।
चलो अब घर लौट लिया जाए वक्त रहते
अंधेरे चुपचाप परछाई तक छीन लेते हैं।।
© मनोज कुमार
मिले नजरे तो मुंह फेर लेते हैं।।
मुखोटो ने भी कर दी बगावत
आइना चेहरे को पहचान लेते हैं।।
बहुत दूर तक चलना मुनासिब नहीं
सुना है अंधेरे उजालों को भी घेर लेते हैं।।
डूबने का अब किसी को डर नही लगता
पत्थर भी लहरों संग दूर तक तैर लेते हैं।।
चलो अब घर लौट लिया जाए वक्त रहते
अंधेरे चुपचाप परछाई तक छीन लेते हैं।।
© मनोज कुमार
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