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ज़ख्म
कहते हैं कि वक़्त भरता है सारे ज़ख्म.....
सब जुठ है नहीं होता ये ग़म कभी खत्म.....
ज़ख्म भर भी जाए तो निशान रह जाते है....
किसी ना किसी मोड़ पर वो बहोत याद आते है....
यादों से फिर से हो जाता है हर घाव ताज़ा.. ....
इंतजार है मौत का जल्दी जल्दी आजा...
सब जुठ है नहीं होता ये ग़म कभी खत्म.....
ज़ख्म भर भी जाए तो निशान रह जाते है....
किसी ना किसी मोड़ पर वो बहोत याद आते है....
यादों से फिर से हो जाता है हर घाव ताज़ा.. ....
इंतजार है मौत का जल्दी जल्दी आजा...
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